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 राजनीति शास्त्र POLITY

 कक्षा 8 (CLASS 8)

 अध्याय 2 (CHAPTER 2)

 धर्मनिरपेक्षता की समझ



भारतीय संविधान सभी को अपने धार्मिक विश्वासों और तौर तरीकों को अपनाने की पूरी छूट देता है | सभी व्यक्तियों को समान धार्मिक स्वतंत्रता प्रदान करने के उद्देश्य से भारतीय राज्य ने धर्म और राज्य की शक्ति को एक दूसरे से अलग रखने की रणनीति अपनाई है | धर्म को राज्य से अलग रखने की इसी अवधारणा को धर्मनिरपेक्षता कहा जाता है |

धर्म को राज्य से पृथक रखना अति आवश्यक है क्योंकि संसार के लगभग सभी देशों में एक से ज्यादा धर्म के लोग रहते हैं, जाहिर है कि किसी धर्म के लोगों की संख्या ज्यादा होगी और यदि बहुमत वाले लोग सत्ता में आ जाते हैं तो अल्पसंख्यकों का शोषण होने का खतरा बन सकता है ,बहुमत चाहे तो अल्पसंख्यकों को उनके धर्म के अनुसार जीने से भी रोक सकते हैं धर्म के आधार पर किसी भी तरह का भेदभाव नागरिकों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करना है उपरोक्त विकृतियों को रोकने हेतु धर्म को राज्य से पृथक रखना आवश्यक है |

भारतीय धर्मनिरपेक्षता   

भारतीय संविधान में भारत को एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र कहा गया है हमारे संविधान के अनुसार धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र में कोई एक धार्मिक समुदाय किसी दूसरे धार्मिक समुदाय को नहीं दबायेंगें , अपने ही धर्म के अन्य सदस्यों को नहीं  दबायेंगें , राज्य ना तो किसी खास धर्म को बढ़ावा देंगे ना ही लोगों से धार्मिक स्वतंत्रता छीनेंगें |


हमारे देश में कचहरी , थाने , सरकारी विद्यालय और दफ्तर जैसे सरकारी संस्थानों में किसी खास धर्म को प्रोत्साहन देने या उसका प्रदर्शन करने की अपेक्षा नहीं की जाती है | 

भारत में सभी धर्मों की भावनाओं का सम्मान करने और धार्मिक क्रियाकलापों में दखल ना देने के लिए राज्य कुछ खास धार्मिक समुदायों को कुछ विशेष छूट देता है | उदाहरण के लिए सिख धर्म में पगड़ी पहनना सिख धर्म की प्रथाओं के मुताबिक महत्वपूर्ण है इसलिए उन्हें हेलमेट पहनने की जरूरत नहीं होती |

पर कुछ मामलों में भारतीय धर्मनिरपेक्षता धार्मिक वर्चस्व को रोकने के लिए हस्तक्षेप की नीति अपनाता है | उदाहरण के लिए भारतीय संविधान में छुआ - छूत की प्रथा पर रोक लगाया गया है जिसमें हिंदू धर्म के कुछ जाति के लोग उसी धर्म की दूसरी जाति के लोगों के साथ भेदभाव पूर्ण व्यवहार करते हैं |

भारतीय संविधान कुछ धार्मिक समुदायों को अपने स्कूल और कॉलेज खोलने का अधिकार भी देता है |

परंतु कुछ अन्य देशों में धर्मनिरपेक्षता का अर्थ अलग संदर्भ में भी निकलता है | उदाहरण के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका में राज्य और धर्म के पृथक्करण का मतलब है कि राज्य और धर्म दोनों ही एक दूसरे के मामलों में किसी तरह से दखल नहीं दे सकते |

भारतीय राज्य धर्मनिरपेक्ष है और धार्मिक वर्चस्व को रोकने के लिए कई तरह से काम करता है | भारतीय संविधान नागरिकों को मौलिक अधिकार देकर जो कि धर्मनिरपेक्ष सिद्धांतों पर आधारित है अपने राष्ट्र को उचित रूप से संचालित करता है |

लेकिन इसका अर्थ यह नहीं है कि भारतीय समाज में इन अधिकारों का उल्लंघन बंद हो गया है | वास्तव में ऐसे उल्लंघन की वजह से ही हमारे सामने संवैधानिक व्यवस्था की जरूरत बनी हुई है | इस तरह के अधिकारों के होने का ज्ञान हमें इन अधिकारों के उल्लंघन के प्रति सचेत करता है और हमें उससे लड़ने का आधार देता है |



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