CHAPTERWISE NCERT NOTES CLASS 8 CHAPTER 1 FOR UPSC !!!
राजनीति शास्त्र POLITY
कक्षा 8 (CLASS 8)
अध्याय 1 (CHAPTER 1)
भारतीय संविधान
हर समाज के कुछ मूलभूत नियम होते हैं उन्हीं से समाज का स्वरूप तय होता है | नियमों को आम सहमति के जरिए तय किया जाता है | आधुनिक देशों में यह सहमति आमतौर पर लिखित रूप में पाई जाती हैं, जिस दस्तावेज में यह नियम मिलते हैं उसे संविधान कहा जाता है|
संविधान कई उद्देश्यों की पूर्ति करते है |---
पहला-- यह दस्तावेज उन आदर्शों को सूत्र बद्ध करता है जिनके आधार पर नागरिक अपने देश को अपनी इच्छा और सपनों के अनुसार रख सकता है | अर्थात संविधान ही बताता है कि हमारे समाज का मूलभूत स्वरूप क्या है |
संविधान का दूसरा मुख्य उद्देश्य होता है देश की राजनीतिक व्यवस्था को तय करना | जिन देशों ने लोकतांत्रिक शासन पद्धति या राजव्यवस्था चुनी है वहां निर्णय प्रक्रिया के नियम तय करने में संविधान बहुत अहम भूमिका अदा करता है संविधान में जनता द्वारा चुने प्रतिनिधियों के बावजूद सत्ता का दुरुपयोग होने का खतरा बना रहता है जिस से बचने का उपाय संविधान में मिलता है | कई बार लोकतंत्र में ऐसी स्थितियां बन जाती है कि अल्पसंख्यकों के हितों पर खतरा मंडराने लगता है ऐसी विकृतियों से बचाना तथा बहुमत की निरंकुशता पर प्रतिबंध लगाना भी संविधान का महत्वपूर्ण कार्य है |
संविधान का तीसरा मुख्य कार्य है कि वह ऐसे फैसले लेने से भी रोकता है जिससे उन बड़े सिद्धांतों को ठेस पहुंच सकती है जिनमें देश आस्था रखते हैं | यह ऐसे प्रावधानों को आसानी से खत्म नहीं होने देता जिनसे नागरिकों के अधिकारों और स्वतंत्रता की रक्षा होती है |
भारत का संविधान---
भारतीय संविधान को तैयार करने में लगभग 300 लोगों ने योगदान दिया जो 1946 में गठित की गई संविधान सभा के सदस्य थे | संविधान सभा की बैठके 3 वर्षों तक चली | सदस्यों ने अपने ऐतिहासिक दायित्व को बहादुरी से पूरा किया तथा देश को एक ऐसा कल्पनाशील दस्तावेज दिया जिसमें राष्ट्रीय एकता को बनाए रखते हुए विविधता के प्रति गहरा सम्मान दिखाई देता है |
हमारे संविधान के कुछ मुख्य बिंदु निम्नलिखित हैं-----
संघवाद----
संघवाद का अर्थ होता है देश में से एक ज्यादा स्तर की सरकारों का होना|
हमारे देश में तीन स्तरों पर कार्य संपन्न होता है | केंद्र स्तर ,राज्य स्तर तथा स्थानीय शासन व्यवस्था |
कार्यक्षेत्र की स्पष्टता के लिए संविधान में कुछ सूचियां दी गई है जिनमें बताया गया है कि कौन से स्तर की सरकार किन मुद्दों पर कानून बना सकती है |
मौलिक अधिकार---
मौलिक अधिकारों को संविधान की अंतरात्मा भी कहते हैं | मौलिक अधिकार देश के सभी नागरिकों को राज्य की सत्ता की मनमानी और निरंकुश इस्तेमाल से बचाता है |अल्पसंख्यकों के हितों के लिए भी प्रावधान संविधान में दिए गए हैं
संविधान में उल्लेखित मौलिक अधिकार निम्नलिखित है ---
- समानता का अधिकार
- स्वतंत्रता का अधिकार
- शोषण के विरुद्ध अधिकार
- धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार
- सांस्कृतिक और शैक्षणिक अधिकार
- संवैधानिक उपचार का अधिकार
शक्तियों का बंटवारा---
हमारे देश में सरकार के तीन अंग है-- विधायिका ,कार्यपालिका तथा न्यायपालिका|
- विधायिका कानून बनाती है|
- कार्यपालिका कानूनों का पालन करवाती है तथा शासन व्यवस्था देखती हैं |
- न्यायपालिका न्यायव्यवस्था को नियंत्रित करती है |
राज्य के नीति निदेशक तत्व ---
इस भाग को संविधान में लाने का उद्देश्य था कि स्वतंत्र भारतीय राज्य जनता की गरीबी दूर करने तथा सामाजिक और आर्थिक सुधार लाने के लिए बनाने वाले कानूनों तथा नीतियों मे इन सिद्धांतों को मार्गदर्शक के रुप में सदैव अपने सामने रखें |
संसदीय शासन पद्धति----
हमारे देश में सरकार के सभी स्तरों पर प्रतिनिधियों का चुनाव लोग खुद करते हैं | भारत का संविधान अपने सभी वयस्क नागरिकों को मत देने का अधिकार देता है इससे ना केवल लोकतांत्रिक सोच व तौर-तरीकों को प्रोत्साहन मिलेगा बल्कि जाति ,वर्ग और स्त्री- पुरुष के फर्क पर आधारित ऊंच-नीच की बेड़ियों को भी तोड़ा जा सकता है | सार्वभौमिक मताधिकार का मतलब है कि किसी भी पृष्ठभूमि का व्यक्ति मतदान करने के लिए पूर्ण रुप से स्वतंत्र है तथा वह स्वयं भी चुनाव लड़ सकता है |
धर्मनिरपेक्षता---
धर्मनिरपेक्षता का अर्थ है कि देश किसी धर्म को अधिकृत रूप से बढ़ावा नहीं देगा | हमारा देश एक धर्मनिरपेक्ष देश है यहां सभी धर्मों को सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है |
संविधान उन आदर्शों को तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है जिन्हें हम अपने देश और अपने प्रतिनिधियों के जरिए साकार करना चाहते हैं |
IMPORTANT POINTS DIRECT FROM BOOK ---
- संविधान सभा की अंतिम बैठक 26 जनवरी 1950 को हुई \
- भारत का संविधान लागू होते समय---
स्वास्थ्य मंत्री -राजकुमारी अमृत कौर
वित्त मंत्री- डॉक्टर जॉन मथाई
उप प्रधानमंत्री -सरदार वल्लभभाई पटेल
श्रम मंत्री -श्री जगजीवन राम
- राज्य एक ऐसी राजनीतिक संस्था होती है जो निश्चित भूभाग में रहने वाले संप्रभु लोगों का प्रतिनिधित्व करती हैं |
- 2008 में राजतंत्र को खत्म करने के बाद नेपाल लोकतंत्र बन गया |
IMPORTANT TERMS DIRECT FROM BOOK---
आदर्श-- जब कोई लक्ष्य या सिद्धांत अपने शुद्ध या सर्वश्रेष्ठ रूप में होता है तो उसे आदर्श कहा जाता है |
निरंकुशता -- इसका मतलब सत्ता या अधिकारों के क्रूर एवं अन्याय पूर्ण इस्तेमाल से है |
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